ा U+093E Unicode文字
Unicode
U+093E
ा
数値文字参照
ा ा
URLエンコード(UTF-8)
%E0%A4%BE
ユニコード名
DEVANAGARI VOWEL SIGN AA
一般カテゴリ-
Mark, Spacing Combining(結合文字,幅あり)
Base64エンコード : 4KS+
「ा」に似ている意味の文字
ाの説明
Translingual
Letter
ा (ā)
The Devanagari diacritic for the vowel आ (ā).[出典:Wiktionary]
Devanāgarī or Devanagari ( DAY-və-NAH-gər-ee; देवनागरी, IAST: Devanāgarī, Sanskrit pronunciation: [deːʋɐˈnaːɡɐriː]), also called Nāgarī (Sanskrit: नागरी, Nāgarī), is a left-to-right abugida (a type of segmental writing system), based on the ancient Brāhmī script, used in the northern Indian subcontinent. It is one of the official scripts of the Republic of India and Nepal. It was developed and in regular use by the 7th century CE. The Devanāgarī script, composed of 47 primary characters, including 14 vowels and 33 consonants, is the fourth most widely adopted writing system in the world, being used for over 120 languages.The orthography of this script reflects the pronunciation of the language. Unlike the Latin alphabet, the script has no concept of letter case. It is written from left to right, has a strong preference for symmetrical rounded shapes within squared outlines, and is recognisable by a horizontal line, known as a shirorekhā, that runs along the top of full letters. In a cursory look, the Devanāgarī script appears different from other Indic scripts such as Bengali-Assamese, or Gurmukhi, but a closer examination reveals they are very similar except for angles and structural emphasis.Among the languages using it as a primary or secondary script are Marathi, Pāḷi, Sanskrit, Hindi, Boro, Nepali, Sherpa, Prakrit, Apabhramsha, Awadhi, Bhojpuri, Braj Bhasha, Chhattisgarhi, Haryanvi, Magahi, Nagpuri, Rajasthani, Khandeshi, Bhili, Dogri, Kashmiri, Maithili, Konkani, Sindhi, Nepal Bhasa, Mundari, Angika, Bajjika and Santali. The Devanāgarī script is closely related to the Nandināgarī script commonly found in numerous ancient manuscripts of South India, and it is distantly related to a number of southeast Asian scripts.[出典:Wikipedia]
ाの文字を使った例文
जो व्यक्ति खुश रहना चाहता है उसे सबसे पहले आत्म-निरीक्षण करना चाहिए। आत्म-निरीक्षण से हम अपनी गलतियों और दोषों को जान सकते हैं जो हमारे जीवन में खुशी और संतोष को बाधित करते हैं। वैसे तो हम अपनी गलतियों से गुस्ताख नहीं हो सकते, लेकिन हम उन्हें संशोधित कर सकते हैं। हमें इस विश्व को मेहरबानी की जगह मिलती है जब हम दूसरों के साथ उदार और दयालु होते हैं। आज की दुनिया में जहाँ लोगों को छोटे काे महत्व नहीं होता, इस भावना को बरतना हमारी खुशी के लिए जरूरी होता है। आज की आधुनिक दुनिया में तकनीक का फोकस हमेशा बढ़ता जा रहा है, लेकिन कुछ चीजों का मूल्य समझना हमें नहीं भूलना चाहिए। उनमें से एक है खुशी। खुशी से भरा हुआ जीवन जीने का मजा दूसरों से अलग होता है। खुशी से ऊपर कोई खजाना नहीं होता। खुशी की प्राप्ति में अगर हम इतनी मेहनत नहीं करते हैं तो फिर हम कभी इसे नहीं प्राप्त कर सकते। खुशी हमारे जीवन में आनंद का स्रोत होती है। आत्म-निरीक्षण करना आसान नहीं होता, इसमें मेहनत व धैर्य की आवश्यकता होती है। आत्म-निरीक्षण करने वाले व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और उनके लिए माफी मांगनी चाहिए। आत्म-निरीक्षण करने वाले व्यक्ति का दिमाग उन बातों पर फोकस करना चाहिए जो उनके जीवन में बदलाव लाते हैं। वो अपने अच्छे समयों पर हैं या बुरे समयों पर, वो अपनी ज़िन्दगी में दर्द या समस्याओं को कैसे देखते हैं इत्यादि। खुश रहना चाहते हो तो अपनी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा सत्य जान लो - सब कुछ तब ठीक होगा जब तुम ठीक हो जाओगे। अगर तुम खुश हो, तो तुम जो करोगे वो अच्छे से होगा। जो लोग अपने जीवन के सारे हालातों के लिए दूसरों को ज़िम्मेदार मानते हैं, उन्हें एक बात याद रखनी चाहिए - खुद को ढूँढो और सभी सवालों का जवाब अपने अंदर खोजो। खुशी को पाने के लिये हमें निस्वार्थ होना चाहिए। जब हम दुनिया को मूंदते हैं, तब हमें मालूम होता है कि हम खुश नहीं रह सकते। खुशी के लिए हमें दूसरों की मदद करना चाहिए। खुशी पाने के लिए हमेशा सीधे रास्ते चुनने चाहिए - ऐसे रास्ते जो हमें खुश रखते हैं। खुश रहने के लिए हमें स्वस्थ देह और शुद्ध मस्तिष्क के साथ स्वस्थ संबंधों की भी आवश्यकता होती है। खुशी का मूलमंत्र होता है - आप किसी के सहयोग के बिना खुश नहीं रह सकते हैं। आपके चारों ओर कुछ न कुछ भी हो सकता है, लेकिन आपके पास जो भी है, वो शान्ति, समृद्धि और सुख का एक बड़ा स्रोत है। खुश रहने के लिए आपको स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ता है। सफल होने के लिए आपको स्वस्थ्य बहुत ज़रूरी है। पोषण संतुलित मात्रा में होना चाहिए। आपको सुबह उठकर कुछ्ह समय व्यायाम करना चाहिए और सभी पोषक तत्वों से समृद्ध खाद्य पदार्थ खाने की आवश्यकता होती है। खुश रहने के लिए आपको ध्यान देना पड़ सकता है। ध्यान के ज़रिए आप अपने मस्तिष्क को शांत कर सकते हैं। यह आपको मदद करेगा संतोष और दृष्टि में सुधार लाने में। खुश को पाने के लिए आपको स्वास्थ्य से जुड़े कुछ विशेष उपायों का अनुसरण करना चाहिए। अपने आहार में संतुलित मात्रा में पोषक तत्व जैसे कि विटामिन व खनिजों को शामिल कर लें। योग या ध्यान योग करना चाहिए। आप अपने मन को शांत रखना सीख सकते हैं। जब आप ध्यान करते हैं, तो आप शांत महसूस करते हैं। खुशी क्या है - कोई मुश्किल नहीं! खुशी की परिभाषा तो अलग-अलग होती है लेकिन दिल की खुशी सबसे बड़ी है। आपके सबसे मुख्य मित्र आपकी खुशी के होते हैं जो आपके साथ हर पल दुःख को साझा करते हैं। खुश रहने के लिए आपको सफल नहीं बल्कि संतुष्ट होना होगा। आपको अपने जीवन में जो भी हो रहा है, उसके साथ खुश होना चाहिए। जब तुम खुश हो, तब तुम जो करते हो, वो सबसे अधिक अच्छा होगा।(この例文はAIにより作成されています。特定の文字を含む文章を出力していますが内容が正確でない場合があります。)